आधा इश्क़
आधा
इश्क़
तेरे
मेरे रिश्ते की डोर को
जब
सबने मिलकर बाँधा था...
तेरे
मेरे दर्मयाँ तभी इश्क़ आधा था l
वो
अनकही बातें ,
हमारी
नहीं, नज़रों की मुलाकातें
वो
हाथों का कपकपाना ,
लफ्ज़ो
का लड़खड़ाना ...
बिन
कहे तेरी हर बात को समझ जाना
तेरे
खातिर खुद को भुला डाला था
तेरे
मेरे दर्मयाँ तब भी इश्क़ आधा था l
तेरे
रिश्तों के ख़ातिर
मैंने
अपनों को भुला डाला था...
तेरी
हर ख़्वाहिश के लिए मैंने
हर
इम्तिहान दे डाला था...
तेरी
हिफाज़त के ख़ातिर
खुद
को नीलाम कर डाला था ...
तेरी
और से तब भी इश्क़ आधा था...
मैंने
अपनी ज़िंदगी का
हर
लम्हा , हर सपना तेरे संग बिताना था
पर
तुझे किसी और से इश्क़ निभाना था...
तब
ये एहसास हुआ,
तेरे
मेरे रिश्ते की डोर को
जब
सबने मिलकर बाँधा था...
तेरे
मेरे दर्मयाँ तभी इश्क़ आधा था l
Shrishti pandey
17-Dec-2021 07:33 AM
Nice
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Ms. Anamika
20-May-2021 12:39 AM
thanks
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Apeksha Mittal
17-May-2021 08:02 AM
Best line
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